मैं गुनाहों में पलता रहा
मैं गुनाहों में पलता रहा, तेरे विपरीत चलता रहा,
तेरी ज्योति जो देखी प्रभु, मेरा जीवन बदलने लगा।
- तेरे दर पे न आया कभी,
न ये मस्तक झुकाया कभी,
तेरा नाम लिया न, मन से,
सुमिरन किया ना। - मैंने बाती जलाई नही,
तेरी सच्चाई पाई नही,
तेरा नाम लिया ना मन से,
सुमिरन किया ना। - मैंने माना न मनका कहा,
सारा जीवन भटकता रहा,
तेरा नाम लिया ना मन से,
सुमिरन किया ना।