मैं गुनाहों में पलता रहा

मैं गुनाहों में पलता रहा, तेरे विपरीत चलता रहा,
तेरी ज्योति जो देखी प्रभु, मेरा जीवन बदलने लगा।

  1. तेरे दर पे न आया कभी,
    न ये मस्तक झुकाया कभी,
    तेरा नाम लिया न, मन से,
    सुमिरन किया ना।
  2. मैंने बाती जलाई नही,
    तेरी सच्चाई पाई नही,
    तेरा नाम लिया ना मन से,
    सुमिरन किया ना।
  3. मैंने माना न मनका कहा,
    सारा जीवन भटकता रहा,
    तेरा नाम लिया ना मन से,
    सुमिरन किया ना।

Mai Gunaho Me Palata Raha

https://youtu.be/NIUb5BPsYJo