यात्री हु में जग में प्रभुजी
यात्री हु में जग में प्रभुजी।(2)
चलता हु मार्ग में तेरे (2)
वो निशाँ तू है येशुजी (2)
बंदरगाह तू मेरा हाँ
बंदरगाह तू मेरा
यात्री हु में जग में प्रभुजी।(2)
सोचा था में यह जग मेरा।(2)
खेत कुटम्ब सब है प्यारा।(2)
धोका सब कोई न सहारा (2)
व्यर्थ ही व्यर्थ है सारा हाँ
व्यर्थ ही व्यर्थ है सारा
यात्री हु में जग में प्रभुजी।(2)
जान गया में उस दिन प्रभुजी (2)
बदला जीवन लहू से मेरा (2)
बड़ा आनंद तू ने कहा था (2)
पाप शमा हु मेरा हाँ
पाप शमा हु मेरा
यात्री हु में जग में प्रभुजी।(2)
अभी थो जग में में हु मुसाफिर(2)
क्रूस उठाके के चलता रहूंगा (2)
पाया में ने अनमोल धन को (2)
है जो येशु से भरा हाँ
है जो येशु से भरा
यात्री हु में जग में प्रभुजी।(2)
आँख जब मेरी बंद होजाए
यात्रा मेरी पूरी होजाए
पहुँचु में स्वर्गीय वतन में
यह गीत है अब मेरा हाँ
यह गीत है अब मेरा
यात्री हु में जग में प्रभुजी।(2)